कयामत आ जाती अच्छा हुआ वह चुप रह गए उनके सहन क्षमता को किसी तराजू में तुलना करोगे क्या क्षति हो जाती इतनी बिखर जाता सब कुछ जो बर्दाश्त कर दर्द वह सहते नहीं
shayari manoj kumar gorakhpur/हिंदी शायरी संग्रह/Hindi shayari sangrah
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