प्यार करना भी मुमकिन हो ना सका साथ चलना भी मुमकिन हो ना सका उनके वादों पर उम्मीद अब ना यकीन मुझको रहा चाहत थी जिंदगी के सफर में हमसफर बनने की उनका साथ मिलना भी मुमकिन हो ना सका
जो चीज पसंद आ जाती है इंसान उसे अपना बनाने की कोशिश जरूर करता है चाहे वह उसे मिले या ना मिले उसने मेरे दिल पर कब्जा किया है इसीलिए तो वह ठोकर मारकर चली जाती है और हम उफ तक नहीं करते मेरे दिल की सादगी को जिस दिन पहचान जाओगे खुद आकर कहोगी तुमसे प्यार करती हूं इतना करीब आकर दूर जाना पड़ा तो तन्हाई मुझे जिंदा छोड़ेगी नहीं जो चाहती हो मैं जिंदा रहूं दूर जाने की बात ना कहना कभी